मोक्ष क्या है?

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एक हिंदू के लिए पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा, मुस्ल्मान के लिए जन्नत में प्रवेश, और किसी और के लिए कुछ और पाना मोक्ष माना जाता हैं। लेकिन मानवजाति की वर्तमान स्थिति पर ग़ौर करने पर हमें मानव के ऊपर पाए जाने वाले पाप रूपी श्राप का ज्ञात होता है। और यह वर्तमान में दुनिया की स्थिति हमें बताती है पाप मनुष्य के हृदय में पाया जाने वाला भ्रष्टाचार, बुराई एवं झूठ। और यह धनवान से लेकर भंगार के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है।

कोई भी पाप से बचा नहीं है। और राजनैतिक और सामाजिक नेता भी इससे बच नहीं पाए हैं। इसीलिए देश में और दुनिया में इतनी अस्थिरता है। और इसी पाप से बचना ही उद्धार कहलाता है। और हरएक मनुष्य जो स्त्री से जन्मा है उसे इस उद्धार की आवश्यकता हैं।

इस व्यस्ततम जीवन की भाग दौड़ में किसके पास समय है मोक्ष या उद्धार के बारे में सोचने का। लेकिन ध्यान रखें कि मनुष्य भौतिक एवं आत्मिक दो तत्वों से बना हैं। जो हम देख सकते है वो भौतिक या शारीरिक है। और जो अदृश्य है वह आत्मिक या अलौकिक है। दिलचस्प बात यह है कि भौतिक से ज़्यादा आत्मिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि भौतिक या शारीरिक जीवन सीमित है परंतु आत्मिक अनंत है। चाहे वो परमेश्वर के साथ हो या बिग़ैर हो। और अपने अनंत आत्मिक जीवन के विषय में जो निर्णय हम वर्तमान दुनिया में रहकर लेते है वह हमारे आगामी गंतव्य स्थल का निर्धारण करता है।

प्रभु यीशु मसीह आपके मोक्ष के लिये अपने प्राण को दिया। कई लोग यह सोचते है की वह कमज़ोर था इसीलिए रोमी सरकार के द्वारा उस पर अत्याचार करके उसे मार दिया गया। जैसे आज भी कई अच्छे इंसानो को दुनिया के बुरे लोग सताते और मार देते है।

लेकिन यह सच नहीं है। क्योंकि प्रभु यीशु मसीह ने स्वयं अपने प्राण दिये। वो चाहते तो अपने आप को बचा सकते थे। क्योंकि उनके इस दुनिया में आने के पहिले ही यह भविष्यवाणी हुई थी की वह मानवजाति के पापों के लिए बलिदान देगा। और उसने स्वयं भी मृत्यु के पहिले यह कहा की मानवजाति की मुक्ति के लिये मेरा मारा जाना सुनिश्चित है।

क्योंकि पापी मनुष्य आपने अच्छे कर्मों के द्वारा अपने पापों से नहीं बच सकता। क्योंकि अच्छे कर्म करने से ज़्यादा वह बुरे कर्म करता है। जैसे इस बात का कोई इंकार नहीं कर सकता कि हम सभी आपने मन, वचन और कर्म से प्रतिदिन पाप या बुरा करते है।

और यह इस दुनिया का नियम है जो पापी को नहीं छोड़ती। हमारे देश की अदालत भी दोषी को नहीं छोड़ती। उसे सज़ा ज़रूर मिलती है। तो ज़रा सोचिए की आपके बुरे कामों की सज़ा से आप कैसे बच सकते है। हो सकता है की आप अदालत से या अपने माता पिता से अपने पाप या बुरे काम को छिपा ले लेकिन क्या आप स्वर्ग के परमेश्वर से कुछ छिपा सकते है?? वह स्वर्ग का न्यायाधीश है उसके सामने आपकी ज़िंदगी एक खुली पुस्तक है।

हो सकता है कि कोई कहे, “मैंने आपने हाथो से कोई पाप नहीं किया”। तो ज़रा आप आपने मन के अंदर झाँक कर देखे कितने बार आपने दूसरों के लिए बुरा सोचा, झूठ बोला, लालच किया, दूसरे की वस्तु, स्त्री या पुरुष के प्रति लालसा रखी या उसे पाना चाहा?

लाज़मी है की ये सब आपने अपने हाँथों से नहीं किया हो लेकिन अपने मन या विचार में ज़रूर किया होगा। और आपको यह जानकर अचंभा नहीं होगा कि आज के इस दुनिया में एक छोटा सा व्यवसाय भी झूठ के बिग़ैर नहीं चलता।

दुनिया भर के धर्म एवं गुरु हमें अच्छे कर्म करने की हिदायत देते है लेकिन कोई यह नहीं बताते की क्या कोई अपने अच्छे कर्मों से अपने बुरे कर्मों को ढाँप या छुपा सकता है। आप जितना चाहे अच्छे कर्म करें लेकिन बुरे कर्मों का परिणाम तो आपको भुगतना ही पड़ेगा। और प्रतिदिन के बुराई और पाप जोड़ कर देखिए की आपने अपने जन्म से लेकर आज तक कितने पाप किऐ।

बाइबिल बताती है कि एक बार जन्म और मृत्यु के बाद न्याय का होना निश्चित है। कोई दूसरा जन्म नहीं होता यह एक झूठ है।यदि आपके अंदर स्वाँस बाक़ी है तो आपके पास अभी भी मौक़ा है अपने पापों को मान कर यीशु के बलिदान को स्वीकार करें। जिसने आपके स्थान पर अपने आप को क़ुर्बान किया।

इतिहास से लेकर आज तक जितने भी धर्म गुरु या दर्शनशास्त्री आए सब ने ज्ञान दिया लेकिन सिर्फ़ यीशु ने अपना ज़ान दिया। वो भी सिर्फ़ आपके लिए और यही परमेश्वर के प्रेम का प्रत्यक्ष प्रमाण है जो एतिहासिक रूप से प्रमाणित है। दूसरे धर्मों का पता नहीं लेकिन यीशु के जन्म, मृत्यु एवं पुनरुत्थान का कोई खंडन नहीं कर सकता। आज दुनिया में सबसे ज़्यादा यीशु मसीह को मानने वाले पाए जाते है और प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे है। अलग अलग धर्मों एवं देशों से लोग प्रभु यीशु को स्वीकार कर रहे है। क्योंकि यीशु किसी जाति विशेष या व्यक्ति विशेष के लिए नहीं मरा परंतु समस्त मानवजाति के पापों के लिए बलिदान दिया। तो आपकी जाति, भाषा एवं रंग का कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। यीशु आपसे प्रेम करता है। उस पर विश्वास करें और मुफ़्त में उद्धार के दान को प्राप्त करें।

मुफ़्त इसीलिए क्योंकि आपको प्रभु यीशु को स्वीकार करने एवं मोक्ष को पाने के लिए किसी पहाड़ पर चढ़ने, कहीं जाने, नारियल, सिंदूर, सोना चढ़ाने या तपस्या करने की ज़रूरत नहीं हैं।

सिर्फ़ सच्चे मन उसका नाम लेना है।

प्रभु यीशु आप सभों को आशीष दें।

Image courtesy: https://www.google.co.in/search?q=moksha&rlz=1C1ASRM_enIN782IN782&source=lnms&tbm=isch&sa=X&ved=0ahUKEwjd_LLl8bPZAhVHV7wKHSsrBL4Q_AUICigB&biw=1366&bih=700#imgrc=DNSTD23kSNm75M:

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